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लक्ष्मी स्तोत्र – इन्द्रकृत (Lakshmi Stotram By Indra)

इन्द्र उवाचऊँ नम: कमलवासिन्यै नारायण्यै नमो नम: ।कृष्णप्रियायै सारायै पद्मायै च नमो नम: ॥1॥पद्मपत्रेक्षणायै च पद्मास्यायै नमो नम: ।पद्मासनायै पद्मिन्यै […]

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कनकधारा स्तोत्रम्: अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्ती (Kanakadhara Stotram: Angam Hareh Pulaka Bhusanam Aashrayanti)

धन प्राप्ति के लिए लोग प्रायः दीवाली, अक्षय तृतीया तथा नियमित पाठ के लिए शुक्रवार के दिन कनकधारा स्तोत्रम् का

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Mata Manasa Devi Chalisa in Hindi: यहां पढे़ं मां मनसा देवी चालीसा, जानें महत्व और लाभ

मंत्र ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं एं मनसा दैव्ये स्वाहा॥ चालीसा मनसा माँ नागेश्वरी, कष्ट हरन सुखधाम।चिंताग्रस्त हर जीव के, सिद्ध

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Om Jai Jagdish Hare Aarti Lyrics

ॐ जय जगदीश हरेस्वामी, जय जगदीश हरेभक्त जनों के संकटदास जनों के संकटक्षण में दूर करेॐ जय जगदीश हरे (ॐ

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दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं (Daridraya Dahana Shiv Stotram)

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणायकणामृताय शशिशेखरधारणाय ।कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधरायदारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥१॥गौरीप्रियाय रजनीशकलाधरायकालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय ।गंगाधराय गजराजविमर्दनायदारिद्र्य दुःखदहनाय नमः शिवाय ॥२॥ भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहायउग्राय

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महिषासुरमर्दिनी स्तोत्रम्

अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमोदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते ।गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि शम्भुविलासिनि विष्णुनुते।भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृतेजय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि[१] शैलसुते ॥१॥ सुरवर वर्षिणि

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दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र (Daridraya Dahana Shiva Stotram)

॥ दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र ॥ विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।कर्पूरकान्तिधवलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥1॥ गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय।गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय

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लिङ्गाष्टकम् (Lingashtakam)

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥ सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि

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।। अथ श्री सूक्तम् ।।

ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम।चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह।१। तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम।यस्या हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ।२। अश्वपूर्वां

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