संपूर्ण रुद्राष्टाध्यायी :- रुद्री का दूसरा अध्याय – ॥ द्वितीयोऽध्यायः ॥
ॐ सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् ।स भूमि ᳪ सर्वत स्पृत्वात्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम् ॥१॥ पुरुष ऽएवेद ᳪ सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्यम् ।उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति […]
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ॐ सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् ।स भूमि ᳪ सर्वत स्पृत्वात्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम् ॥१॥ पुरुष ऽएवेद ᳪ सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्यम् ।उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति […]
अथ ध्यानम् –ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारु चन्द्रवतंसम् ।रत्नाकल्पोज्ज्वलाङ्गं परशु मृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम् ॥पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृतिं वसानम् ।विश्वाद्यं विश्ववन्द्यं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्
इन रुद्राष्टाध्यायी के पाठ, अभिषेक आदि के द्वारा शिवकृपा से हम अपने लिए मनचाही स्थितियां निर्मित कर सकते हैं,इन प्रयोगों
ॐ नमः शिवाय ॐ मृतुंजय महादेव त्राहिमां शरणागतम्जन्म मृत्यु जराव्याधी पीड़ितं कर्म बंधमनम् ॐ नमः शिवाय ॐ मृतुंजय महादेव त्राहिमां
इस मंत्र का जाप सुबह और शाम, दोनों समय कर सकते हैं। संकटकाल के समय इस मंत्र का जाप कभी
एवमाराध्य गौरीशं देवं मृत्युञ्जयेश्वरम्।मृतसञ्जीवनं नाम्ना कवचं प्रजपेत् सदा।।१।। अर्थात: गौरीपति मृत्युञ्जयेश्र्वर भगवान् शंकर की विधिपूर्वक आराधना करने के पश्चात भक्त
एवमारध्य गौरीशं देवं मृत्युञ्जयमेश्वरं।मृतसञ्जीवनं नाम्ना कवचं प्रजपेत् सदा ॥१॥ गौरीपति मृत्युंजयेश्वर भगवान शंकर की विधि पूर्वक आराधना करने के पश्चात
श्रीहरि भगवान विष्णु के 1000 नामों (Vishnu 1000 Names) की महिमा अवर्णनीय है। इन नामों का संस्कृत रूप विष्णुसहस्रनाम (Vishnu
विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का उल्लेख महाभारत के अनुशासन पर्व में मिलता है। जब भीष्म पितामह मृत्यु शैया पर लेते होते
Vishnu Sahastra Path: भगवान विष्णु को इस सृष्टि का संचालक माना गया है। वहीं गुरुवार का दिन भगवान विष्णु की
भगवान विष्णु जीवन के संरक्षक हैं और जीवन को बचाते हैं। विष्णु पृथ्वी पर पनपने के लिए जीवन के विभिन्न
शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग शुक्रवार के दिन
श्रीलक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्रं का पाठ करने से पूर्व रात में स्नान करें या स्वयं को गंगाजल से पवित्र करके
।। प्रारंभ ।। श्रीनिवास जगन्नाथ श्रीहरे भक्तवत्सल ।लक्ष्मीपते नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात् ॥१॥ शंखचक्रगदापद्मधर श्रीवत्सलांच्छन ।मेघश्याम नमस्तुभ्यं त्राहि मां भवसागरात्
शुक्रवार का दिन बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि शुक्रवार की शाम को जो व्यक्ति माता महालक्ष्मी की