शिवलिंग पर क्या-क्या चढ़ाएं
गंगा जलमिश्रीशहदघीजौतिलगेहूंधतूरासरसों तेलमूंग की दालचना की दालकाले उड़द की दाललाल मसूर की दाल धूप/कपूर से शिव जी की आरती
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गंगा जलमिश्रीशहदघीजौतिलगेहूंधतूरासरसों तेलमूंग की दालचना की दालकाले उड़द की दाललाल मसूर की दाल धूप/कपूर से शिव जी की आरती
।।दोहा।।श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥चौपाईजय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥भाल
॥दोहा॥ जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि।गणपति जननी पार्वती अम्बे! शक्ति! भवानि॥ ॥चौपाई॥ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे, पंच बदन
नमामीशमीशान निर्वाणरूपंविभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहंचिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ निराकारमोंकारमूलं तुरीयंगिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।करालं महाकाल कालं कृपालंगुणागार
ॐ शिवाय नमः ॥ॐ महेश्वराय नमः ॥ॐ शंभवे नमः ॥ॐ पिनाकिने नमः ॥ॐ शशिशेखराय नमः ॥ॐ वामदेवाय नमः ॥ॐ विरूपाक्षाय
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥ एकानन चतुरानन पंचानन
ॐ जय गंगाधर जय हर,जय गिरिजाधीशा ।त्वं मां पालय नित्यं,कृपया जगदीशा ॥ॐ हर हर हर महादेव ॥कैलासे गिरिशिखरे,कल्पद्रुमविपिने ।गुंजति मधुकरपुंजे,कुंजवने
सत्य, सनातन, सुंदर,शिव! सबके स्वामी ।अविकारी, अविनाशी,अज, अंतर्यामी ॥ॐ हर हर हर महादेव..॥आदि अनंत, अनामय,अकल, कलाधारी ।अमल, अरूप, अगोचर,अविचल अघहारी
जय पार्वती माता जय पार्वती माताब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता। जय पार्वती माता जय पार्वती माता।अरिकुल पद्मा विनासनी
जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी ।तुमको निशदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥ मांग सिंदूर विराजत,टीको मृगमद को
दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा सन् १८७० में लिखी गई थी।
विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणायकर्णामृताय शशिशेखर धारणायकर्पूरकांति धवलाय जटाधरायदारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय… गौरी प्रियाय रजनीशकलाधरायकालान्तकाय भुजगाधिप कंकणायगंगाधराय गजराज विमर्दनायदारिद्र्य दु:ख दहनाय
नमो बिल्ल्मिने च कवचिने च नमो वर्म्मिणे च वरूथिने चनमः श्रुताय च श्रुतसेनाय च नमोदुन्दुब्भ्याय चा हनन्न्याय च नमो घृश्णवे॥दर्शनं
जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणाकर करतार हरे,जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशी सुख-सार हरे,जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर, जय जय प्रेमागार हरे,जय
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम् ॥१॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम् ।सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥२॥ वाराणस्यां