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शिव चालीसा

।।दोहा।।श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥चौपाईजय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥भाल

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पार्वती चालीसा

॥दोहा॥ जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि।गणपति जननी पार्वती अम्बे! शक्ति! भवानि॥ ॥चौपाई॥ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे, पंच बदन

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॥ श्रीरुद्राष्टकम् ॥

नमामीशमीशान निर्वाणरूपंविभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहंचिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ निराकारमोंकारमूलं तुरीयंगिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।करालं महाकाल कालं कृपालंगुणागार

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शिव आरती – ॐ जय गंगाधर (Shiv Aarti – Om Jai Gangadhar)

ॐ जय गंगाधर जय हर,जय गिरिजाधीशा ।त्वं मां पालय नित्यं,कृपया जगदीशा ॥ॐ हर हर हर महादेव ॥कैलासे गिरिशिखरे,कल्पद्रुमविपिने ।गुंजति मधुकरपुंजे,कुंजवने

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हर महादेव आरती: सत्य, सनातन, सुंदर (Har Mahadev Aarti: Satya Sanatan Sundar)

सत्य, सनातन, सुंदर,शिव! सबके स्वामी ।अविकारी, अविनाशी,अज, अंतर्यामी ॥ॐ हर हर हर महादेव..॥आदि अनंत, अनामय,अकल, कलाधारी ।अमल, अरूप, अगोचर,अविचल अघहारी

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जय अम्बे गौरी आरती

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी ।तुमको निशदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी ॥ॐ जय अम्बे गौरी..॥ मांग सिंदूर विराजत,टीको मृगमद को

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ॐ जय जगदीश हरे आरती

दुनियाँ में सबसे ज्यादा लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा सन् १८७० में लिखी गई थी।

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दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र का अर्थ

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणायकर्णामृताय शशिशेखर धारणायकर्पूरकांति धवलाय जटाधरायदारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय… गौरी प्रियाय रजनीशकलाधरायकालान्तकाय भुजगाधिप कंकणायगंगाधराय गजराज विमर्दनायदारिद्र्य दु:ख दहनाय

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शिवाष्ट्कम्

जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणाकर करतार हरे,जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशी सुख-सार हरे,जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर, जय जय प्रेमागार हरे,जय

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सौराष्ट्रे सोमनाथं – द्वादश ज्योतिर्लिंग

सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् ।उज्जयिन्यां महाकालम्ॐकारममलेश्वरम् ॥१॥ परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमाशंकरम् ।सेतुबंधे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥२॥ वाराणस्यां

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