श्री सूक्त पाठ :-
ओम हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्ण-रजत-स्त्रजाम्, चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आवह।। तां म आवह जात वेदो, लक्ष्मीमनप-गामिनीम्, यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं […]
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ओम हिरण्यवर्णां हरिणीं, सुवर्ण-रजत-स्त्रजाम्, चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं, जातवेदो म आवह।। तां म आवह जात वेदो, लक्ष्मीमनप-गामिनीम्, यस्यां हिरण्यं विन्देयं, गामश्वं […]
काम, क्रोध, लोभ वृत्ति से मुक्ति प्राप्त कर धन, धान्य, सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए उपयोगी स्तोत्र है। यहां
जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणाकर करतार हरे,जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशी सुख-सार हरे,जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर, जय जय प्रेमागार हरे,जय
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥ हे मोक्षरूप, विभु, व्यापक, ब्रह्म, वेदस्वरूप, ईशानदिशा
नमामीशमीशान निर्वाणरूपंविभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं।निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहंचिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं।।1।। हे ईशान! मैं मुक्तिस्वरूप, समर्थ, सर्वव्यापक, ब्रह्म, वेदस्वरूप, निज स्वरूप में
अथ कथमपि मद्रसनां त्वद्गुणलेशैर्विशोधयामि विभो।सांब सदाशिव शंभो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम ॥१॥ आखण्डलमदखण्डनपण्डित तण्डुप्रिय चण्डीश विभो।सांब सदाशिव शंभो शङ्कर
साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव चरणयुगम्॥ईशगिरीश नरेश परेश महेश बिलेशय भूषण भो।साम्ब सदाशिव शम्भो शङ्कर शरणं मे तव
ॐ स्थिराय नमः।ॐ स्थाणवे नमः।ॐ प्रभवे नमः।ॐ भीमाय नमः।ॐ प्रवराय नमः ।ॐ वरदाय नमः ।ॐ वराय नमः ।ॐ सर्वात्मने नमः
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनायभस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।नित्याय शुद्धाय दिगम्बरायतस्मै नकाराय नमः शिवाय मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चितायनन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजितायतस्मै मकाराय नमः शिवायशिवाय गौरीवदनाब्जबृंदासूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजायतस्मै शिकाराय नमः
जय पार्वती माता, जय पार्वती माता, ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता । अरिकुलपद्म विनासनी जय सेवकत्राता, जगजीवन जगदंबा
।। दोहा ।। जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि, गणपति जननी पार्वती, अम्बे, शक्ति, भवानि । ।। चौपाई ।।
।।दोहा।। जय गिरि तनये दक्षजे शंभु प्रिये गुणखानि । गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवानि ।। ।।चौपाई।। ब्रह्मा
जय शिव ओंकारा हर जय शिव ओंकाराब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्धांगी धारा ॥ टेक॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजेहंसानन गरुडासन वृषवाहन साजे
शिवमहिम्न स्तोत्रम्शिवभक्त श्री गंधर्वराज पुष्पदंत द्वारा रचित शिवमहिम्न स्तोत्र या फिर श्री शिवमहिम्नस्तोत्रम् का अभिप्राय शिव की महिमा से है।