क्यों मृत्यु संजीवनी कहलाता है महा-मृत्युंजय मंत्र, जानिए इसके जाप के नियम

इस मंत्र का जाप सुबह और शाम, दोनों समय कर सकते हैं। संकटकाल के समय इस मंत्र का जाप कभी भी कर सकते हैं। यह जाप शिवलिंग के सामने या शिव जी की प्रतिमा के सामने करें।

भगवान शिव के अनेक स्वरूप हैं। उसमें भगवान शिव का एक रुप है महा-मृत्युंजय स्वरूप, जिसमें भगवान शिव अपने हाथों में अमृत लेकर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। इसी स्वरूप को महा-मृत्युंजय स्वरूप कहा जाता है। भगवान के इस रूप से आयु की रक्षा और रक्षा की प्रार्थना की गई है।

महा-मृत्युंजय मंत्र का दीर्ध या लघु स्वरूप जपने से व्यक्ति हमेशा सुरक्षित रहता है। इस मंत्र का जपने की सावधानियां और नियम हैं। जब आप इन नियमों का पालन करेंगे तो तब यह मंत्र और अधिक प्रभावी होगा। सामान्य और विशेष रूप से इस मंत्र का प्रयोग किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के दोषों को दूर करने के लिए महा-मृत्युंजय मंत्र ही कारगर होता है।

मंत्र जप के नियम- इस मंत्र का जाप सुबह और शाम, दोनों समय कर सकते हैं। संकटकाल के समय इस मंत्र का जाप कभी भी कर सकते हैं। यह जाप शिवलिंग के सामने या शिव जी की प्रतिमा के सामने करें। जाप रुद्राक्ष की माला से करना ही उत्तम होगा। मंत्र जाप से पहले शिव जी को बेलपत्र और जल अर्पित करें। महा-मृत्युंजय मंत्र के 5 प्रकार के होते हैं आइए जानते हैं –

1. एकाक्षरी महा-मृत्युंजय मंत्र – ‘हौं’ । नियमित रूप से स्वास्थ्य ठीक रहें इसके लिए मंत्र एकाक्षरी मंत्र का जाप करें। सुबह उठते ही इस मंत्र का जाप करें। अगर आप ऐसा रोज करें तो सामान्य दशाओं मे आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा।

2. त्रयक्षरी मंत्र है – ‘ऊं जूं स:’। जब आपको छोटी-छोटी बीमारियां परेशान करने लगे तो यह मंत्र प्रभावशाली होता है। रात को सोने से पहले कम से कम 27 बार इस मंत्र का जाप करें। आपको छोटी बीमारी बार-बार परेशान नहीं करेगी।

3. चतुराक्षरी महा-मृत्युंजय मंत्र – ‘ऊं हौं जूं स:’। यदि शल्य चिकित्सा दुर्घटना की संभावना तो ये मंत्र जपें। सुबह शिव जी को जल अर्पित करके इस मंत्र की 3 माला जपें। आप हर प्रकार की दुर्घटना और शल्य चिकित्सा से बच सकेंगे।

4. दशाक्षरी महा-मृत्युंजय मंत्र -‘ऊं हौं जूं स: माम पालय पालय’। इस मंत्र को अमृत महा-मृत्युंजय मंत्र कहा जाता है। जिसके लिए ये मंत्र जप रहे हैं उसका नाम जरूर प्रयोग करें। तांबे के पात्र में जल भरकर उसके सामने मंत्र जपें। फिर उस जल को उसे पिलाएं जिसे सेहत की समस्या हो।

5. मृत संजीवनी महा-मृत्युंजय मंत्र – ‘ऊं हौं जूं स:। ऊं भूर्भव: स्व:। ऊं त्र्यंबकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बंधनांन्मत्योर्मुक्षीय मामृतात। स्व: भुव: भू: ऊं। स: जूं हौं ऊं। शास्त्रों के अनुसार ये मंत्र मरते हुए आदमी को भी जीवन दे सकता है इसलिए इस मंत्र को मृत्यु संजीवनी कहा जाता है। जब रोग असाध्य हो जाए, कोई आशा ना बचे तब इस मंत्र का घर में कम से कम सवा लाख बार जाप करवाना चाहिए। जब भी इस मंत्र का जाप करवाएं, संपूर्ण अनुष्ठान को सम्मिलित करें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top