विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ कब करना चाहिए

भगवान विष्णु जीवन के संरक्षक हैं और जीवन को बचाते हैं। विष्णु पृथ्वी पर पनपने के लिए जीवन के विभिन्न रूपों का निर्वाह करते हैं। विष्णु को प्रार्थना करने वाले कई पवित्र श्लोक हैं। सभी में सबसे प्रभावी विष्णु सहस्रनाम है। विष्णु सहस्रनाम में विष्णु के एक हजार नाम शामिल हैं। भारतीय महाकाव्य, महाभारत, विष्णु सहस्रनाम के रूप में 149 अध्याय, श्लोक 14 से 20 है। विष्णु सहस्रनाम हिंदू पौराणिक कथाओं में गहराई से समाहित है और अनुष्चुपचंदा में कुल 108 स्रोत हैं। मानवता ने हमेशा माना है कि एक ध्वनि मन और शरीर के लिए, दोनों को तनाव-मुक्त रहना चाहिए। विष्णु सहस्रनाम एक शोधक और उद्धारकर्ता है। जब सभी उपाय विफल हो जाते हैं तब व्यक्ति ईश्वर की तरफ झुकाव करता है। लेकिन हमें खुशी के समय भी ईश्वर का अनुसरण करना चाहिए। हमें निष्ठापूर्ण भक्ति के साथ विष्णु सहस्रनाम का जप करना चाहिए, जो परम विश्वास के साथ भगवान की राह दिखाता है। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना या सिर्फ रोजाना सुनना, हमारी मानसिक शांति और स्थिरता को बनाए रखने में हमारी मदद करता है।

विष्णु सहस्रनाम का जाप करने के लाभ
ज्योतिषाचार्य का मानना है कि विष्णु सहस्रनाम में प्रत्येक नाम के लगभग एक सौ अर्थ हैं। इसलिए यह बहुत गहरा और शक्तिशाली मंत्र है। यदि सभी नामों का अर्थ जाने बिना भी विष्णु सहस्रनाम का जाप किया जाए तो भी यह लाभकारी हो सकता है। भीष्म का मानना था कि विष्णु सहस्रनाम का जाप करने या इसे सुनने से भी पाप और भय दूर होते हैं। गीता में श्री कृष्ण कहते हैं, “मेरी लगातार प्रशंसा करना और दृढ़ संकल्प के साथ मुझ तक पहुंचने का प्रयास करना और मेरे प्रति श्रद्धा रखना मुझे मेरे भक्तों के करीब लाता है।” इसलिए निस्वार्थ भाव से ईश्वर की सेवा करना ही पूजा का सबसे शुद्ध रूप है। यहां तक कि विष्णु सहस्रनाम को सुनने से सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है। इस प्रक्रिया में ध्यान भी बहुत ज्यादा मायने रखता है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि इसका रोजाना जप करने से असंख्य लाभ हो सकते हैं।

ज्योतिष के अनुसार विष्णुसहस्रनाम के लाभ
सौभाग्य लाता है
ज्योतिष के अनुसार, विष्णु सहस्रनाम का जाप करने से कुछ लोगों से जुड़े विभिन्न अभिशापों और दुर्भाग्य को दूर करने में मदद मिल सकती है। यह उन दोषों को दूर करने में भी मदद करता है, जो किसी की जन्म कुंडली में ग्रहों की खराब स्थिति से उत्पन्न होते हैं। विष्णु सहस्रनाम का नियमित जाप घर में सौभाग्य और खुशियां ला सकता है। यह वित्तीय कठिनाइयों और खराब आर्थिक स्थितियों को दूर करने में मदद करता है।

आत्मविश्वास बढ़ाए
विष्णु सहस्रनाम का प्रतिदिन जप करने से भी आत्मविश्वास की वृद्धि होती है। यह एकाग्रता को बढ़ाता है, तनाव से राहत देता है और सकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। यह मन को सकारात्मक चीजों से भर सकता है। विष्णु सहस्रनाम एक व्यक्ति को आत्मविश्वास से भरकर सभी बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकता है और एक केंद्रित तरीके से लक्ष्यों का पीछा करने में मदद कर सकता है। यह चिंताओं को दूर करता है। यह शक्तिशाली जप उनके पापों को दूर करने में मदद कर सकता है। यह धार्मिकता के मार्ग की ओर बढ़ने में मदद कर सकता है।

रोगों को दूर करे
विष्णु सहस्रनाम का नियमित जाप करने से कई बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। यह भय और तनाव को भी दूर करता है। यह पारिवारिक झगड़ों को कम करता है और घर के अंदर एक शांतिपूर्ण माहौल स्थापित करता है। यह परिवार के बच्चों की सुरक्षा भी करता है। यदि किसी घर में विष्णु सहस्रनाम का जाप नियमित रूप से किया जाता है या सुना जाता है तो उस घर के सभी सदस्यों के लिए यह एक सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है।

इस प्रकार विष्णु सहस्रनाम का जप किसी भी व्यक्ति जीवन अनंत लाभ लाता है। यह हमें गरीबी, बीमारी, जन्म और मृत्यु के भय से मुक्त करता है। हम एक उच्च चेतना प्राप्त करते हैं जो हमें ईश्वर को बेहतर तरीके से समझने और आत्मनिरीक्षण करने में मदद मिलती है। नियमित रूप से इसका जाप या इसे सुनने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है इसलिए इसे अपनी दिनचर्या में जरूर शामिल करना चाहिए।

विष्णु सहस्त्रनाम पाठ के फायदे
– गुरुवार या किसी विशेष तिथि पर विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ किया जाए, तो घर में सुख-समृद्धि आती है। भगवान विष्णु की कृपा बरसती है।

नियमित रूप से विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ सुनने से भय से मुक्ति मिलती है। साथ ही मन एकाग्र रहता है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

– नियमित रूप से इसका पाठ करने से घर में खुशियों की प्राप्ति होती है।

विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने की विधि
– गुरुवार के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना उत्तम माना जाता है। इसका पाठ सूर्योदय के समय करना चाहिए। इसे करते समय पवित्रता का खास ख्यान रखना चाहिए।

– गुरुवार के दिन सुबह स्नानादि के बाद भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का आह्वान करें। फिर पूजा करें और पाठ की शुरुआत करें।

– किसी खास इच्छापूर्ति के लिए गुरुवार के दिन पीले रंग के कपड़े पहनने। पूजा स्थान पर जल से भरा कलश स्थापित करें।

– विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ पूरा होने के बाद भगवान विष्णु को पीले चीज का भोग लगाएं।

– जन्म कुंडली में देवगुरु बृहस्पति की स्थिति मजबूत करने के लिए गुरुवार के दिन सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए।

– विष्णु सहस्त्रनाम में भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन है। इस पाठ को करने से बिगड़े हुए काम बनने लगते हैं।

– ज्योतिष्याचार्यों के अनुसार जब कुंडली में बृहस्पति ग्रह नीच में हो या बहुत कमजोर हो तो तब विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से लाभ होता है और ये कुंडली के इस ग्रह को मजबूत करता है.

– जब कुंडली में बृहस्पति 6, 8, या 12 वे भाव से भ्रमण कर रहा हो उस समय भी विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए. मान्यता है ऐसे जातक को कोई परेशानी नहीं आती और बुरा फल दे रहा ग्रह भी शांत हो जाता है.

– जब कुंडली में बृहस्पति के कारण पेट या लिवर की समस्या हो तो उस समय भी ज्योतिष्याचार्य विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने की सलाह देते हैं.

– शादी में विघ्न आ रहा हो या फिर शादी के बाद संतान सुख के लिए संघर्ष चल रहा हो तो ऐसे समय में भी विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से लाभ मिलता है.

विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने के नियम

– ब्रह्म मुहूर्त में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें और पाठ के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें.

– ये पाठ पीले वस्त्र धारण करके ही करना चाहिए और पूजा के समय चने और गुड या पीली मिठाई का भोग लगाना चाहिए.

– बृहस्पतिवार शाम को नमक का सेवन न करें.

– जितने भी दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें उस दौरान आप सात्विक वैष्णव भोजन ग्रहण करें.

– इस पाठ का जाप आप हिंदी भाषा में भी कर सकते हैं.

इस संसार में हो रही हर घटना भगवान विष्णु से जुड़ी है. मान्यता है कि सृष्टि के रचियता भगवान विष्णु कामना पूरी करने वाले भगवान हैं. जीवन की हर बाधा, हर विपदा को दूर करने वाले इस पाठ का हिंदू धर्म (religion) में बहुत महत्त्व है. तो आप अपनी कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत करना चाहते हैं या आप आर्थिक स्थिति को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो आप ये पाठ कर सकते हैं.

विष्णु सहस्रनाम भगवान विष्णु के हजार नामों से युक्त एक प्रमुख स्तोत्र है। इसके अलग अलग संस्करण महाभारत, पद्म पुराण व मत्स्य पुराण में उपलब्ध हैं। स्तोत्र में दिया गया प्रत्येक नाम श्री विष्णु के अनगिनत गुणों में से कुछ को सूचित करता है। विष्णु जी के भक्त प्रात: पूजन में इसका पठन करते है। मान्यता है कि इसके सुनने या पाठ करने से मनुष्य की मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।

बदल सकता है जीवन

महाभारत में अनुशासनपर्व के 149 वें अध्याय के अनुसार, कुरुक्षेत्र मे बाणों की शय्या पर लेटे हुए पितामह भीष्म ने उस समय जब युधिष्ठिर ने उनसे पूछा कि, कौन ऐसा है, जो सर्व व्याप्त है और सर्व शक्तिमान है? तब उन्होंने बताया कि एेसे महापुरुष भगवान विष्णु हैं आैर उनके एक हजार नामों की जानकारी दी। भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि हर युग में इन नामों को पढ़ने या सुनने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यदि प्रतिदिन इन एक हजार नामों का जाप किया जाए तो सभी मुश्किलें हल हो सकती हैं। वैसे वैदिक परंपरा में मंत्रोच्चारण का विशेष महत्व माना गया है, आैर अगर सही तरीके से मंत्रों का उच्चारण किया जाए तो यह जीवन की दिशा ही बदल सकते हैं। विष्णु सहस्रनाम को अौर भी बहुत सारे नामों से जाना जाता है जैसे, शम्भु, शिव, ईशान और रुद्र, इससे ये भी प्रमाणित होता है कि शिव अौर विष्णु में कोई अंतर नहीं है ये एक समान हैं।

स्तोत्र के हैं तीन प्रमुख भाग

कहते हैं कि विष्णु सहस्रनाम के जाप में बहुत सारे चमत्कार समाएं हैं। इस मंत्र को सुनने मात्र से सात जन्म संवर जाते हैं, सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं और हर दुख का अंत होता है। इस स्तोत्र के तीन प्रमुख भाग माने गये हैं, जिसमें से प्रथम है

पूर्व पीठिका

इसमे सर्वप्रथम गणेश, विष्वक्सेन, वेदव्यास तथा विष्णु का नमन किया जाता है। इसके बाद युधिष्ठिर के प्रश्न दिए गए हैं, किमेकं दैवतं लोके किं वाप्येकं परायणम्। स्तुवन्तः कं कमर्चन्तः प्राप्नुयुर्मानवाः शुभम्॥ जिसका अर्थ है, सभी लोकों में सर्वोत्तम देवता कौन है?संसारी जीवन का लक्ष्य क्या है?किसकी स्तुति व अर्चन से मानव का कल्याण होता है?सबसे उत्तम धर्म कौनसा है?किसके नाम जपने से जीव को संसार के बंधन से मुक्ति मिलती है?इसके उत्तर में भीष्म ने कहा,”जगत के प्रभु, देवों के देव, अनंत व पुरूषोत्तम विष्णु के सहस्रनाम के जपने से, अचल भक्ति से, स्तुति से, आराधना से, ध्यान से, नमन से मनुष्य को संसार के बंधन से मुक्ति मिलती है। यही सर्वोत्तम धर्म है।”

द्वितीय भाग

इसके बाद ऋषि, देवादि संकल्प तथा परमात्मा का ध्यान किया जाता है। इस भाग मे विश्वं से आरंभ सर्वप्रहरणायुध तक सभी सहस्र यानि 1000 नामों को 107 श्लोकों मे सम्मिलित किया गया है। परमात्मा के आनंत रूप, स्वभाव, गुण व नामों में से सहस्र नामों को इसमें लिया गया है।

उत्तर पीठिका

ये तीसरा भाग है जिसे फलश्रुति भी कहते हैं। इस भाग मे सहस्रनाम के सुनने अथवा पठन से प्राप्त होने के लाभ का विवरण दिया गया है। इसी भाग में विष्णु के सहस्र अर्थात एक हजार नामों की सूची है।

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