विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र पाठ नहीं पढ़ पा रहे हों तो पढ़ें ये एक मंत्र, उससे भी ज्यादा मिलेगा फल

विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का उल्लेख महाभारत के अनुशासन पर्व में मिलता है। जब भीष्म पितामह मृत्यु शैया पर लेते होते हैं तब श्रीकृष्‍ण की आज्ञा पर युधिष्ठिर उनसे उपदेश प्राप्त करते हैं तो पितामह भगवान विष्णु के दिव्य एक हजार नामों से युक्त इस कल्याणकारी स्तोत्र का उपदेश करते हैं।

विष्णु सहस्रनाम का पाठ पढ़ने से समस्त मनोकामना पूर्ण होती है। घर में धन-धान्य, सुख-संपदा बनी रहती है। यदि आप विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र यानी श्रीहरि के 1000 नामों और उनकी महीमा को पढ़ने में असमर्थ हैं तो मात्र एक श्लोक से ही इस पाठ का पुण्‍य प्राप्त किया जा सकता है।

श्री राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे |
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने॥

अर्थ : शिवजी माता पार्वतीजी से कतहे हैं कि श्रीराम नाम के मुख में विराजमान होने से राम राम राम इसी द्वादश अक्षर नाम का जप करो। हे पार्वति! मैं भी इन्हीं मनोरम राम में रमता हूं। यह राम नाम विष्णु जी के सहस्रनाम के तुल्य है। भगवान राम के ‘राम’ नाम को विष्णु सहस्रनाम के तुल्य कहा गया है।

इस मंत्र को श्री राम तारक मंत्र भी कहा जाता है। और इसका जाप, सम्पूर्ण विष्णु सहस्त्रनाम या विष्णु के 1000 नामों के जाप के समतुल्य है। यह मंत्र श्री राम रक्षा स्तोत्रम् के नाम से भी जाना जाता है।

इससे संबंधित कथा:-

सहस नाम सम सुनि शिव बानी। जपि जेई पिय संग भवानी॥- (मानस १-१९-६)

एक बार देवों के देव महादेव जी ने माता पार्वती जी से अपने साथ भोजन करने का अनुरोध किया तो भगवती ने यह कहकर टाल दिया कि वे अभी विष्णुसहस्रनाम का पाठ कर रही हैं। इसमें कुछ देर लगेती तब तक आप प्रतीक्षा करें। भगवान शंकर ने जब पुनः पार्वती जी को बुलाया तब भी पार्वती जी ने यही उत्तर दिया कि वे विष्णुसहस्रनाम के पाठ के पूर्ण होने के बाद ही आ सकेंगी।

शिवजी को उस समय बड़ी जल्दी थी। भूख लग रही थी और भोजन ठण्डा हो रहा था। ऐसे में भूतभावन भगवान शिवजी ने कहा- हे पार्वति! राम राम कहो। एक बार राम कहने से विष्णुसहस्रनाम का सम्पूर्ण फल मिल जाता है, क्योंकि श्रीराम नाम ही विष्णु सहस्रनाम के तुल्य है। इस प्रकार शिवजी के मुख से इस दो अक्षर के नाम राम का विष्णुसहस्रनाम के समान जप सुनकर मां पार्वती अभिभूत हो गई और उन्होंने भी तब राम इस दिव्यक्षर नाम का जप करके प्रसन्न होकर शिवजी के साथ भोजन किया।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top